क्रम ::
नवंबर 2020
संपादकीय :
अब क्या खोना बाकी है !
कविताएँ :
शंकरानंद की तीन कविताएं
युद्ध और बच्चे : उषा दशोरा
कटोरे में चाँद : शिरोमणि महतो
स्मृतियाँ मरतीं नहीं : राजेंद्र नागदेव
उजला-उजला दिन : लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता
विलुप्त भाषा : देवेश पथसारिया
रोटियाँ : जितेंद्र जलज
हम औरतें : कविता सिंह
ग़ज़लें : अश्विनी कुमार त्रिपाठी
जो मनुष्य नहीं होते : परमिंदर यादव
बहस : नई शिक्षा नीति : कैसा प्रस्थान चाहिए?
प्रस्तुति – मनोज मोहन, प्रतिभागी विद्वान – पूनम बत्रा, अंबरिश राय, मृत्युंजय, शुभनीत कौशिक
कहानियां :
दलदल : हरियश राय
औरत और पोस्टर : कमल कुमार
फ़रिश्ते : मुकुल जोशी
गंध (कन्नड़) : कर्कि कृष्णमूर्ति /अनुवाद : डी.एन.श्रीनाथ
छोटे स्वामी की गलती (कन्नड़) : के. वी. तिरुमलेश /अनुवाद : डी.एन.श्रीनाथ
समीक्षा संवाद: अच्युतानंद मिश्र
विश्वदृष्टि :
2020 नोबल विजेता लुईस ग्लूक के विचारों पर आधारित आलेख स्त्री की देह एक क़ब्र है, जो सब कुछ स्वीकार कर लेती है : उपमा ऋचा
मंगलवार की झपकी : गैब्रियल गार्सिया मार्खेज, अंग्रेजी से अनुवाद : विजय शर्मा
लुईस ग्लूक की कविताएं, अंग्रेजी से अनुवाद : उपमा ऋचा
आलेख:
आदिवासी संघर्ष : साहित्येतिहास की समस्याएँ : राकेश सिंह
साक्षात्कार :
कपिला वात्स्यायन से सुरेश कोहली, अंग्रेजी से अनुवाद : अवधेश प्रसाद सिंह
विस्मृति से एतराज :
मेरे अग्रज नंदकिशोर नवल : भारत भारद्वाज
नंदकिशोर नवल एक राजनीतिक आलोचक : वेंकटेश कुमार
2020 की नोबल विजेता लुईस ग्लूक की कविताओं की चित्रमय ऑडियो प्रस्तुति
लघुकथा : फिर भी बंटे नहीं : कमल चोपड़ा
विविध : पड़ोस की विरासत : आशीष मिश्र
पाठकीय प्रतिक्रिया : पत्र
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संपादकीय टीम :
संरक्षक : इंद्रनाथ चौधुरी और स्वपन चक्रवर्ती
संपादक :शंभुनाथ
प्रबंध संपादक :प्रदीप चोपड़ा
प्रकाशक : डॉ. कुसुम खेमानी
संपादन सहयोग :सुशील कान्ति (vagarth.hindi@gmail.com, 7449503734)
मल्टीमीडिया संपादक : उपमा ऋचा (upma.vagarth@gmail.com)
आवरण : तारक नाथ राय
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प्रबंध : अमृता चतुर्वेदी
वितरण व अन्य कार्य : एस.पी. श्रीवास्तव, सूर्यदेव सिंह, अशोक बारीक, बैद्यनाथ कमती, खेत्राबासी बारीक, संतोष सिंह, प्रदीप नायक, प्रेम नायक।
वागर्थ रजिस्ट्रेशन नं. 61730/95
कुसुम खेमानी द्वारा भारतीय भाषा परिषद, 36ए, शेक्सपियर सरणी, कोलकाता-17 के लिए ऑनलाइन प्रकाशित और मुद्रित।
Farishtey is a very touching story
बहुत बढ़िया कार्य हुआ है वागर्थ के द्वारा । अब घर बैठे सभी आनंद से अपनी पसंद की चीजें पढ़ सकते हैं। बहुत बहुत धन्यवाद वागर्थ परिवार का। मिनाक्षी दत्ता जी को बहुत शुभकामनाएं इस नेक कार्य के लिए।
वागर्थ की प्रति घर पर कैसे मंगवा सकते हैं
वागर्थ से संवाद करने के लिए धन्यवाद.
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