युवा कवि। कविता-संग्रह : ‘एक संपूर्णता के लिए’, ‘एक ही चेहरा’, ‘रक्तचाप और अन्य कविताएँ’।
1-गांधी मुस्कराते हैं
हत्यारे भी जब
सिर झुकाते हैं
गांधी मुस्कराते हैं :
प्यार ही करो
पाखंड मत करो!
2-राष्ट्र की बात
अंग्रेजों से जो बराबर
माफी मांगते रहे
उनसे वफादारी का
वादा किया
उन्होंने
उनके जाते ही
वचन निभा दिया :
अंग्रेज जिस गांधी को
छूने की
हिम्मत नहीं कर सके
उनकी हत्या में
वे हिचके नहीं
न वे तब हिचके थे
न आज हिचक रहे हैं
राष्ट्र की बात
वे तब भी करते थे
आज भी
कर रहे हैं।
3-हे राम!
वैसे यह साबित नहीं है
पर उसके काफी करीब है
कि अपनी हत्या के वक्त
गांधी दो ही शब्द कह सके :
‘हे राम!’
आज सबसे बड़ा प्रश्न यह है :
तुम किस भाषा में
अपनी प्रार्थना और शोक
व्यक्त करोगे
जबकि तुम्हें मालूम हो
उसी भाषा में तुम पर
होंगे अत्याचार।
4-गांधी तो सिर्फ इसलिए हैं
वे गोडसे को ही
राष्ट्रपिता
बनाना चाहते हैं
गांधी तो सिर्फ इसलिए हैं
कि जब वह एक शाम
प्रार्थना के लिए जा रहे हों
तो पहले उनका अभिवादन कर
फिर धोखे से उनकी
उसी तरह हत्या
की जा सके
जैसे गोडसे ने की थी।
5-एक निहत्था इंसान
एक निहत्था इंसान
जो इसलिए मारा गया
कि हत्या की पहली
नाकाम कोशिश के बावजूद
उसने सुरक्षा लेने से
इनकार किया
जो निरभिमान होकर
कह सकता था :
‘मैंने नया कुछ भी नहीं किया
सत्य और अहिंसा
पर्वतों की तरह
पुराने हैं’
जो यह मानता था :
‘राष्ट्रपिता को सुरक्षा में
न रहकर
अपने बच्चों से हरदम
मिल सकना चाहिए
उनमें हत्यारे हों तो भी’
इतनी शक्ति है
इस अरक्षा में
कि अपराजेय है
हत्या करना आसान था
उसे सही साबित करना
इतना असंभव
कि दिग्गज अपराधी भी
दिल की बात
कह जाने के लिए
माफ़ी माँगते रहते हैं।
6-गांधी मिल जाते हैं
गांधी ने अहमदाबाद में
आश्रम के लिए
जो जगह चुनी
उसके एक ओर जेल थी
दूसरी तरफ
श्मशान बोले;
‘मुझे दोनों जगह जाना है
लोगों को
आसानी रहेगी’
वह समूह में
ईश्वर-अल्लाह से
प्रार्थनाएं करते थे
अनलंकृत और सारवान
ताकि अवाम
एकजुट रह सके
आजादी के लिए
मगर उन्हें कभी
मंदिरों में
कर्मकांड करते
नहीं देखा गया
अब वह मिल जाते हैं
अंधेरे में
सुरागरसी करते हुए*
सवालिया निगाह से
देखते हैं
मैं उनसे कहता हूँ;
बापू! आगे हो तो हो
फिलहाल यह देश
तुम्हारा नहीं रहा।
*मुक्तिबोध की कविता ‘अँधेरे में’ का बिंब
7-और ही देश
जब गांधी की हत्या
देशभक्ति है
तो यह कोई
और ही देश है
जिसमें हमें
ले आया गया है
आप जान न पाए हों
तो लानेवालों का
क्या कसूर!
8-विरासत
कोई कहे कि मैं
गांधी का बहुत
सम्मान करता हूँ
तो विरासत को पहचानिए
नाथूराम गोडसे ने भी
कहा था :
‘गांधी जी ने देश के लिए
काफी कष्ट उठाए हैं
मैं उनके प्रति
नतमस्तक हूँ’।
9-पोरबंदर में
पोरबंदर में किसी से
मैंने पूछा :
गांधी का घर
कहाँ है?
उसने दुर्लभ
आत्मगौरव से कहा :
‘कीर्ति मंदिर’ वहाँ है
मुझे लगा
गांधी की
मृत्यु नहीं हो सकती
उसकी आंखों में
ऐसी रौशनी थी
जो एक जीवित
व्यक्ति का
पता बताते हुए ही
आ सकती है।
संपर्क: 203, उत्सव अपार्टमेंट, 379, लखनपुर, कानपुर-208024 (उ.प्र.) मो. 9354656050 ईमेल: pankajgauri2013@gmail.com
नमस्कार।
महात्मा गांधी जी पर आपकी कविता पढ़ी।
हर कोण से आपने बापू पर कविताएं लिखीं।साधुवाद।
पंकज की ये कविताएँ देश की सत्ता द्वारा प्रायोजित एक वर्चस्वी छल को साहसिक रूप में सामने लाती हैं. ये कविताएँ उम्मीद जगाती हैं कि अहिंसा की छाती को चाहे जितनी बार छलपूर्वक छलनी किया जायेगा, पर वह पर्वत की तरह अविचल है और रहेगी. गांधी एक सतत शाश्वत विचार हैं और विचार गोली से नहीं मरते. पंकज सीधी सरल भाषा में किंतु कौशल के साथ गांधीजी की कीर्ति को लोगों की आंखों में एक सार्थक सपने के साथ जीवित कर देते हैं.
पंकज को इन अच्छी कविताओं के लिए हार्दिक बधाई.