वरिष्ठ कवि। एक कविता संग्रह प्रकाशित।
प्रेम
एक पौधा है
धीरे-धीरे पनपता
एक आग है
धीमे-धीमे सुलगती
एक फूल है
धीरे-धीरे खिलता
एक सुगंध है
धीरे-धीरे मदहोश करती।
एक पुल है
फूलों से बना
प्रेम पथिक है।
एक जगह है मुझमें
जिसमें तुम स्वीकार
एक जगह है तुममें
जिसमें मैं स्वीकार
खुशी की तरह।
एक चुंबक है
खींचता है सारी धाराएँ
मन की।
एक द्वीप है हरा-भरा
जिसमें सिर्फ तुम और मैं।
एक ॠतु है प्रसन्न
दूसरी दुनिया की
फूलों, सुगंध, उत्सव और
आनंद से भरी।
विदा के समय
विदा के समय मैं यहां से
क्या लेकर आऊंगा?
कुछ फूल कुछ सुगंध
कुछ अमृत कुछ मिठास
कुछ नमक कुछ उष्मा
कुछ उजाला कुछ धुँधलका
और एक अविदा-सी विदा
एक पथिक को
अपनी गठरी के लिए
इससे ज्यादा और क्या चाहिए?
संपर्क :ओआर 500, इंडम सैटेलाइट ग्रीन्स, केलोद हाला, इंदौर-452010, 9644958522