क्रम ::
अक्टूबर 2020
आवरण
तारक नाथ राय
आवरण कथा :
बच्चों की दुनिया का हाल :मो. आरिफ, पंकज चतुर्वेदी, मृत्युंजय, दीना नाथ मौर्य
हिंदी गद्य की नई भंगिमाएं:
ज्ञानरंजन और राजेश जोशी की नई पुस्तकों पर चर्चा
कहानियां :
हंसा दीप और लुईजी पिरानदेल्लो (इटली)
पंत की कविता : बापू
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संपादकीय टीम का विवरण :
संरक्षक : इंद्रनाथ चौधुरी और स्वपन चक्रवर्ती
संपादक : शंभुनाथ
प्रबंध संपादक : प्रदीप चोपड़ा
प्रकाशक : डॉ. कुसुम खेमानी
संपादन सहयोग : सुशील कान्ति (vagarth.hindi@gmail.com, 7449503734)
मल्टीमीडिया संपादक : उपमा ऋचा upma.vagarth@gmail.com
सदस्यता संबंधी विवरण और बिक्री संपर्क :
साधारण डाक खर्च सहित वार्षिक सदस्यता: 300 रुपए/तीन साल : 850 रुपए
आजीवन: 3000 रुपए /विदेश: वार्षिक: 40 डॉलर
(रजिस्टर्ड बुक पोस्ट से मंगाने पर वार्षिक रु.240 अतिरिक्त भेजें)
भारतीय भाषा परिषद के नाम से चेक या ड्राफ्ट भेजें
एजेंसियों और सदस्यों द्वारा चेक से भुगतान bharatiya bhasha parishad के नाम या नेफ्ट द्वारा: कोटक महिंद्रा बैंक, शाखा: लाउडन स्ट्रीट,
Ac/no. 8111974982, IFSC-KKBK0006590 पर उपर्युक्त नाम से किए जा सकते हैं।
भुगतान के बाद एसएमएस कर दें- मो.9163372683: मीनाक्षी दत्ता (सदस्यता और बिक्री)
11 बजे दिन से 6 बजे संध्या तक
समय पर भुगतान करने वाली एजेंसियों को ही हम भवष्यि में पत्रिका भेज पाएंगे।
प्रकाशित रचनाओं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है
सर्वाधिकार सुरक्षित
वागर्थ से संबंधित सभी विवाद कोलकाता न्यायालय के अधीन होगा।
प्रबंध : अमृता चतुर्वेदी
वितरण व अन्य कार्य : एस.पी. श्रीवास्तव, सूर्यदेव सिंह, अशोक बारीक, बैद्यनाथ कमती, खेत्राबासी बारीक, संतोष सिंह, प्रदीप नायक, प्रेम नायक।
वागर्थ रजिस्ट्रेशन नं. 61730/95
कुसुम खेमानी द्वारा भारतीय भाषा परिषद, 36ए, शेक्सपियर सरणी, कोलकाता-17 के लिए ऑनलाइन प्रकाशित और मुद्रित।
वागर्थ पत्रिका को वेबमंच पर देखना सुखद है। पत्रिका का वेब-लेआउट साफ़-सुथरा और सुरुचिपूर्ण है। हालांकि इसे और बेहतर बनाया जा सकता है। मुझे विश्वास है कि इस नये मंच पर वागर्थ नये पाठकों को जोड़ने में सक्षम होगी। पुराने पाठकों के लिए भी यह समयानुकूल और सुविधाजनक पहल है।
यह भी अपेक्षा है इस वेबसाइट को निरंतर समृद्ध बनाया जाएगा, इसमें नये माध्यम, नई कहन का स्वागत होगा और पुराने अंक भी ई-बुक के रूप में उपलब्ध कराए जाएंगे। प्रो. शंभुनाथ जी सहित पूरी टीम बहुत बहुत बधाई! – अनुपम श्रीवास्तव, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
यह तो अद्भुत माध्यम है।कवियों के लिए विशेष रूप से।कहते हैं कविता की किताबें कोई खरीद कर पढ़ता नहीं ।प्रकाशक यही बताते हैं,क्या पता सच ही कहते होः। तो यह अद्भुत माध्यम कविता के लिए तो बहुत अच्छा है।इससे कविता की पहुंच का दायरा कई गुना बढ़ेगा।
इसके लिए कविता प्रेमियों की ओर से वागर्थ और इसके संपादक शंभूनाथ जी का साधुवाद ।आभार।
दिनेशकुमार शुक्ल
गुडगाँव
kavitavart@gmail.com
वागर्थ पठनीय सामग्री से भरी संग्रहणीय पत्रिका है। हार्ड कापी नहीं हो तो यही सही।
lokbabu54@gmail.com
नमस्कार, शंभुनाथ जी। लगता है वागर्थ कोरोना के चंगुल से मुक्त नहीं हो पा रही है, इसलिए हार्ड कपी उपलब्ध नहीं है। वेब पर भरोसा करने की बाध्यता आई है, जिसे विकल्प के रूप में स्वीकारना ही होगा। लेकिन सबके लिए मोबाइल या लेपटोप पर आँख गड़ाए रहना और पढ़ना सहज नहीं है।
Vagarth ka aarambh se hi Pathak hun. Is Naye roop mein padhana romanchakaari hai. Sampadak shri Shambhunathji aur unke Sabhi sahayogiyon ka abhinandan aur aabhaar. Brajesh Krishna, Kurukshetra
वागर्थ का वेवमंच पर स्वागत है ।
सराहनीय पहल
बहुत प्रभावी लेआउट्स है। वागर्थ और उसके यशस्वी संपादक को हार्दिक शुभकामनाएं!
नए कलेवर में शानदार प्रस्तुति। वागर्थ की पूरी टीम को बधाई💐
सुखद अनुभव ।
धन्यवाद वागर्थ मेरी रचना को स्थान देने के लिए
उन छोटी जगहों में जहाँ वागर्थ नहीं पहुँच पाती थी।डाक से आने जाने में इधर उधर गुम हो जाने का भय होता था।अब उनसे मुक्ति मिल जाएगी ।परन्तु हाथ में पत्रिका लेकर उलटने पलटने से लेकर पढ़ने के आनन्द से वंचित होने का मलाल होना भी स्वाभाविक है।
वागर्थ पत्रिका का नवस्वरूप पठनीय के साथ इ रूप में भी रख सकते है .
पूरी टीम को बधाई .
डॉ.प्रणव देवेंद्र श्रोत्रिय
प्राध्यापक ,हिंदी भाषा
इंदौर