जसविंदर
पंजाबी कवि और गजलकार। कविता संग्रह ‘अगरबत्ती’ के लिए इसी साल साहित्य अकादेमी पुरस्कार।
रावेल पुष्प
कोलकाता के वरिष्ठ रचनाकार और पत्रकार। कविता संग्रह ‘मुझे गर्भ में ही मार डालो’, यात्रा संस्मरण, ‘मेरी बांग्लादेश यात्रा’। युगल किशोर सुकुल पत्रकारिता सम्मान। शोध पत्रिका– ‘वैचारिकी’ में साहित्य–संपादक।

अब गुनाज़ ख़ुश है
महज़ नौ साल की गुनाज़
जब भरती है परवाज़
कैनवास पर उतार लेती है
कोई भी उड़ती आवाज़
एक दिन उसने सुना- बोले सो निहाल
तो नन्हे हाथों ने कर दिया कमाल
कैनवास पर उकेर दिए
दसवें गुरु के लाल
फिर उसने सुना इंकलाब
और कागज पर फांसी का फंदा बनाकर
लिख दिया जिंदाबाद
जय जवान जय किसान सुनकर
उसने बनाए हल और बंदूक
दूर तक सुनाई देती थी
बंदूक पर बैठी चिड़िया की चीं चीं
आज स्कूल गई वह कई दिनों के बाद
शिक्षक कर रहे थे बातचीत
ये मानता क्यों नहीं?
छुट्टी होने पर उसने सुना
भोले-भाले इंसानों से
रिक्शा, रेहड़ी वालों से
ये मानता क्यों नहीं?
सुना गली के हर गुजरने वाले से
हर उठने बैठने वाले से यही सुना
ये मानता क्यों नहीं?
कलाकार गुनाज़
सुन- सुनकर यह आवाज़
हो गई हैरान-परेशान
आवाज़ का कान पकड़कर
उसने कैनवास पर उकेर दिया
सफेद दाढ़ी वाला शैतान
कुछ पल सोच कर फिर
हवा से पकड़ी एक दृढ़ आवाज़
और चित्र के नीचे लिख दिया
इसे मानना तो पड़ेगा
अब गुनाज़ खुश है…।
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