वरिष्ठ लेखक।अध्यापन से सेवानिवृत्ति के बाद स्वतंत्र लेखन।कविता, कहानी, उपन्यास, आलोचना, अनुवाद की लगभग डेढ़ दर्जन पुस्तकें प्रकाशित।अनेक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत।
सुईवाला
वह देवताओं का स्थान था
जहां देवता देवताओं की तरह रहते थे
देवताओं को अपशब्द सुनने की आदत नहीं थी
देवता कभी किसी को अपशब्द नहीं कहते थे
सबकुछ चल रहा था अमन अमान से
सुई गिरने की भी आवाज होती थी
इसलिए किसी के पास सुइयां नहीं होती थीं
सुई की आवश्यकता भी नहीं थी किसी को
ना मालूम कहां से आ गया
सुईवाला एक दिन देवताओं के घर
धुर उनके शासन कक्ष में
देवताओं के मध्य हुई किन मिन
चुभने लगीं सुइयां दाएं-बाएं
देवताओं का दुख देखकर
सुईवाला खिलखिला पड़ा।
समय
समय दस्तक देकर नहीं आता
बंद रिवाजों झरोखों खिड़कियों को
क्रियाएँ बिना खटखटाए बिना
आ धमकता है समय
छा जाता है यत्रतत्र सर्वत्र
उसकी एक-एक हरकत से
उजागर होते हैं उसके इरादे
समय ठहरता नहीं कभी एक जगह
घिरा रहता है हमेशा
व्यस्तताओं के अंबार में
कावेरी का मूलमंत्र है उसका
लपेटता कितने घर
महल झोपड़ियां गांव-शहर
जाने के बाद ही उजागर होते हैं
समय के इरादे।
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