विभिन्न लोकप्रिय साहित्यिक पत्रिकाओं मे रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। मुख्यतः दो काव्य संग्रह ‘आवाज़ के स्टेशन‘ और ‘खंडित मानव की कब्रगाह‘ प्रकाशित हो चुके है।
पीले दांतों वाला बूढ़ा आदमी
जिसके गले में
फटा हुआ अभागा गमछा पड़ा है
और धारीदार कमीज़ पर
लहू की चंद बूंदें मौजूद हैं
अपना नाम दुलीचंद बताता है
वह प्रतिदिन अपनी झोपड़ी में
चाय उबालता दिखाई पड़ता है
सांझ जब अमीरों की ठोकरों से टकराकर
उसकी झोपड़ी की तरफ सरक रही होती है
और सूरज अपनी जिद छोड़कर
एक परिचित दिशा की तरफ लुढक रहा होता है
मेरे सैर करने वाली सड़क के किनारे
उसकी झोपड़ी के निकट मैं देखता हूँ
अंदर कुछ ठंडे बर्तन बिखरे पड़े हैं
उन पर वक्त की ऊबड़-खाबड़ धूल जमी हुई है
थकावट के लेटने के लिए एक कोना आरक्षित है
बगल से चींटियां
कतारबद्ध अनुशासित गुजर रही हैं
स्टोव के तीन तरफ लपेटा हुआ लोहे का टुकड़ा
तेज़ हवा में निरंतर बजता हुआ
एकांत खंडित करता है
वह प्रतिदिन वहां फैली सब चीज़ों पर
सांसें टपकाता हुआ
चाय में अपनी गरीबी उबालकर
खूब गाढ़ी करता जाता है
एक कतार में सिगरेट के पैकेट लगे हुए हैं
उन पर लिखित चेतावनी
नीचे की तरफ दब गई है
लोगों द्वारा छोड़ा गया बेलगाम धुआं
उसके चेहरे की पुरानी झुर्रियों
और चेचक के दागों में कैद है
झोपड़ी के आखिरी छोर पर
चंद पुराने बदहाल गीले अखबार पड़े हैं
जिनमें बहुमत खोने के कारण
एक राज्य सरकार गिर गई है
और मध्यावधि चुनावों की तारीखों का
ऐलान हुआ है
युवाओं में नशे की लत तेजी से फैल रही है
सीज़फायर का लगातार उल्लंघन होने से
जवानों की शहादत बढ़ गई है
एक बच्चा व्यवस्था के खुले बोरवेल में
गिर गया है
जहां अब कुछ प्रशासनिक चेहरे
ताक-झांक कर रहे हैं
सबसे अंतिम पेज की अंतिम खबर में
एक कर्ज़दार किसान फंदे पर झूल रहा है
तभी मैं खुद को समेटकर अचानक
उससे यह सवाल करता हूँ
दुलीचंद क्या तुम्हें पता है
तुम्हारी झोपड़ी के चारों तरफ लिपटे हुए
इस काले सफेद पोस्टर में क्या लिखा है
वह कहता है, नहीं बाबूजी
यह तो पास ही फटा हुआ नीचे पड़ा था
तो मैंने इससे अपनी चारदीवारी कर ली
मैंने कहा
इसमे लिखा है
‘सनव्यू हाइट्स
रुपीज 69 लाख ऑनली रेडी टू मूव’
उसने पूछा इसका क्या मतलब है
मैं वहां से बेमतलब चल पड़ता हूँ।
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