(जन्म-1936) कोलकाता महानगर के साठोत्तरी साहित्यिक गतिविधियों के एक महत्वपूर्ण साक्षी। वरिष्ठतम कवियों में एक। संवादहीन नाटक ‘चेहरों का जंगल’ से चर्चित। कई कविता पुस्तकें प्रकाशित। अंतिम युद्ध अपनी मौत के लिए जिंदा बने रहने सेकहीं बेहतर है जिंदा रहने के...
वरिष्ठ गीतकार और लेखक। विभिन्न विधाओं की तीन दर्जन पुस्तकें प्रकाशित। अपना काम किए हम तो रहे हाशिए पर लेकिनअपना काम किए मुखपृष्ठों पर वही रहेजो श्रेष्ठ प्रमाणित थेबांचा गया उन्हीं का लेखाजो संरक्षित थे हम तो रहे घूर पर लेकिनजलते हुए दिये वे तो जीते रहे...
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