वरिष्ठ कवि, लेखक। संप्रति महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में अध्यापन। करुणा 1.युद्ध की शिला पर बैठरक्त के फव्वारे कौन देख रहा हैशव यात्राओं में यह उल्लास कैसा हैजहां लालसाओं के मृदंग बजाए जाते हैंधूर्तताओं ने कैसे चमकीले वस्त्र...
कवि, आलोचक। आलोचना की दो पुस्तकें। मुझमें हजारों उजले शब्द की कराहें रहती हैंधकेल देता हूँ उन्हें अंधियारी गुफा में जबरनदरअसल उजले शब्दों के आसपासहत्यारों का पहरा है बहुत सख्तजारी हैउजले शब्दों के आखेट का संगठित अभियानउजले शब्दों की कराहों को...
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