बूढ़े मनुष्य का हाथ : अनिल गंगल

बूढ़े मनुष्य का हाथ : अनिल गंगल

वरिष्ठ कवि। अद्यतन कविता संग्रह ‘बैंड का आखिरी वादक।’ यह एक बूढ़ी काया का हाथ हैबूढ़ी काया से ज्यादा एक मनुष्य का हाथबरगद की शाखाओं के झुरमुट की तरहइस हाथ पर पड़ी ये झुर्रियां दरअसल झुर्रियां नहींपीछे छूट गए एक युग का इतिहास हैइस इतिहास में छिपी है एक कूट-लिपिजिसे पढ़...