कहानी
सुपरिचित कथाकार। अद्यतन काव्य संग्रह ‘अब ख्वाब नए हैं’। ‘मुझे तुम अपनी पूरी बस्ती दिखलाओगी?’ ‘हाँ बाबू, आपको घूमने का बहुत सौख है ना? चलो।’ उसके नूपुर की गूंज आगे-आगे, मैं पीछे-पीछे। पहाड़ी के ऊपर से दिखते उसके घर एवं आस-पास के घरों की लघुता देख मुझे हँसी आ गई। मैं जोर...
Recent Comments