युवा कवि।संप्रति सहायक प्राध्यापक। रंगकर्म में सक्रिय, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। अंतराल कभी टूटकर बरसे बादल की तरह बेतहाशाकभी गरजे जोरों सेकभी बिजली की मानिंद गिरे एक-दूसरे पर ऐसेजैसे सबकुछ राख हो गया होजली हुई जमीन सेउठता हुआ धुआं...
अंजन कुमार विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं एवं समीक्षाएं प्रकाशित। शिक्षण से जुड़े। 1-स्वप्न और यथार्थ के बीच कुत्तों के रूदन में गहरी हो चुकी रात गूंज रही है सूखे पत्तों पर चांद अटका हुआ है पेड़ की शाख पर किसी उदास गेंद की तरह और तारे धुंध में कहीं...
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