पाँच साल पहले यहाँ घड़ी नहीं थीमैं तब आदमी था आज खच्चर हूँ।पाँच साल पहले यहाँ राशनकार्ड नहीं था,मैं तब हवा था, आज लट्टू हूँ*मैं तब मैं था, आज कोड़ा हूँ;जो अपने पर बरस रहा है।मैंने चाँद को देखा, वह बाल्टी भर दूध हो गया।घड़ी मेरे बच्चे के पाँच साला जीवन में आतंक की तरह...
मैं बन्द करती हूँ अपनी आँखें और मृत हो जाता है यह संसारमैं उठाती हूँ अपनी पलकें और सब लौट जाता है फिर एक बार(सोचती हूँ, तुम्हें गढ़ा हैं मैंने अपने जेहन में) तारे होते हैं नृत्यरत आसमानी और लालऔर अनियंत्रित अन्धकार लेकर आता है रफ़्तारमैं बन्द करती हूँ अपनी आँखें और...
कवि : अवतार सिंह पाश कविता पाठ : अनुपम श्रीवास्तव (भाषा प्रौद्योगिकी विभाग)ध्वन्यांकन : अनुपमा ऋतु (लेखिका एवं अनुवादक)दृश्य संयोजन-सम्पादन : उपमा ऋचा (मल्टीमीडिया एडीटर वागर्थ)प्रस्तुति : वागर्थ, भारतीय भाषा पारिषद कोलकाता अनुपम श्रीवास्तव, अनुपमा ऋतु, उपमा...
मूल लेखक : बालचंद्रन चुल्लिक्काड (मलयालम कवि)अनुवाद: असद जैदीआवृत्ति : सुशील कांतिध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतुदृश्य संयोजन-संपादन : उपमा ऋचाविशेष आभार : प्रषेख बोरकर, अभिषेक बोरकर एवं श्रीवाणी।प्रस्तुति : भारतीय भाषा परिषद बालचंद्रन चुल्लिक्काड का जन्म 1958 में हुआ था।...
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