कवि : अवतार सिंह पाश कविता पाठ : अनुपम श्रीवास्तव (भाषा प्रौद्योगिकी विभाग)ध्वन्यांकन : अनुपमा ऋतु (लेखिका एवं अनुवादक)दृश्य संयोजन-सम्पादन : उपमा ऋचा (मल्टीमीडिया एडीटर वागर्थ)प्रस्तुति : वागर्थ, भारतीय भाषा पारिषद कोलकाता अनुपम श्रीवास्तव, अनुपमा ऋतु, उपमा...
यह धरती कितना देती है! मैंने छुटपन में छिपकर पैसे बोये थे,सोचा था, पैसों के प्यारे पेड़ उगेंगे,रुपयों की कलदार मधुर फसलें खनकेंगीऔर फूल फलकर मै मोटा सेठ बनूँगा!पर बंजर धरती में एक न अंकुर फूटा,बन्ध्या मिट्टी ने न एक भी पैसा उगला!सपने जाने कहाँ मिटे, कब धूल हो गये!मैं...
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