दो कविता संग्रह ‘यह मौसम पतंगबाज़ी का नहीं है’ तथा ‘अचानक कबीर’ प्रकाशित। त्रैमासिक पत्रिका ‘रेखांकन’ का संपादन। ख़बरें, बच्चे और बारिश बच्चों की ज़िद के आगेहारी हुई एक जवान होती लड़कीजिसे बर्तन साफ करने थेझाड़ू-बुहारू करना थामां के सिर में तेल डालना थापिता...
अब तक दो काव्यसंग्रह ‘यह मौसम पतंगबाज़ी का नहीं है’ और ‘अचानक कबीर’| संप्रति – स्वतंत्र लेखन धूल-गर्द में सनापुराना ही नहींबहुत पुरानातांबे का एक बड़ा-सा देग हैजिसका तांबई रंग फीका पड़ गया हैथके हुए देग सेउदास काई की बदबू आने लगी हैयह इस इलाके का बचा...
दो काव्य संग्रह ‘यह मौसम पतंगबाज़ी का नहीं है’ एवं ‘अचानक कबीर’ प्रकाशित। संप्रति – स्वतंत्र लेखन। सफ़ेद ख़ाली पन्ने उसे याद आएयुद्ध में गिराए गए बमों से ज़ख़्मीलहूलुहान बच्चेजिन्हें उसने थोड़ी देर पहले हीटी.वी. पर रोते-बिलखते देखा था दूसरे दिन...
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