गजल : अरविंद अंशुमान

गजल : अरविंद अंशुमान

      दो गजल संग्रह ‘दर्द के गांव में’, ‘आईने के सामने’। (1)तवारीख़ में निहां कोई फसाना ढूंढ लेता हैवो नाकामी का अच्छा सा बहाना ढूंढ लेता हैनए किरदार में नाटक जो उसका चल नहीं पाताकोई किरदार वह फिर से पुराना ढूंढ लेता हैहमारे दर्द से उसकी यही निस्बत रही...