युवा कवि।असिस्टेंट प्रोफेसर,जे.एस. विश्वविद्यालय, शिकोहाबाद। विदा होती बेटियांडगमगा देती हैं उस धैर्य कोजिसकी उच्चता को देखझुक जाती हैं आकाश की भी आंखेंदरका देती हैं धरती के उस अंतस्तल कोजिनको आंचल में समेट कभीमिट जाती थी धरती के अंतर की तपनपिघला देती हैं उन पत्थरों...
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