स्त्री के अंतर्लोक का वैभव : आशीष मिश्र

स्त्री के अंतर्लोक का वैभव : आशीष मिश्र

युवा आलोचक। और साहित्यिक-सांस्कृतिक रूप से निरंतर सक्रिय। क्या हो यदि किसी दिन कोई आपसे कहे कि अबतक का समग्र ज्ञान पुरुषों द्वारा अपनी कामनाओं के औचित्य-स्थापन की प्रक्रिया भर है? शायद एक बारगी आप इसे स्वीकार नहीं कर पाएंगे कि ज्ञान भी स्त्री-पुरुष का भेद कर सकता...
सीमांत का सौंदर्य और विषाद : आशीष मिश्र

सीमांत का सौंदर्य और विषाद : आशीष मिश्र

युवा आलोचक। और साहित्यिक-सांस्कृतिक रूप से निरंतर सक्रिय। किसी युग के काव्य-वैशिष्ट्य को चिह्नित करते हुए यह ज़रूर देखना चाहिए कि वे कविताएँ ग्रामीण संवेदना को कैसे अभिव्यक्त करती हैं| इससे उनकी जनोन्मुखता, सामुदायिकता, इंद्रियबोध, पारिस्थितिक गहनता, वाचिकता, जीवंतता...
नीलेश रघुवंशी – स्त्री कविता का भूगोल : आशीष मिश्र

नीलेश रघुवंशी – स्त्री कविता का भूगोल : आशीष मिश्र

युवा आलोचक। और साहित्यिक-सांस्कृतिक रूप से निरंतर सक्रिय। नीलेश रघुवंशी का जन्म विदिसा के कस्बा‘गंज बासौदा’ में हुआ। बासौदा का इतिहास मालवा के पठारी भूगोल में बहुत गहरे धंसा हुआ है। नीलेश का आरंभिक भावबोध बासौदा के कस्बाई जीवन-अनुभवों में आकार लेता है। इसमें आठ बहनों,...
नीलेश रघुवंशी – स्त्री कविता का भूगोल : आशीष मिश्र

नीलेश रघुवंशी – स्त्री कविता का भूगोल : आशीष मिश्र

युवा आलोचक। और साहित्यिक-सांस्कृतिक रूप से निरंतर सक्रिय। नीलेश रघुवंशी का जन्म विदिसा के कस्बा‘गंज बासौदा’ में हुआ। बासौदा का इतिहास मालवा के पठारी भूगोल में बहुत गहरे धंसा हुआ है। नीलेश का आरंभिक भावबोध बासौदा के कस्बाई जीवन-अनुभवों में आकार लेता है। इसमें आठ बहनों,...
पंकज चतुर्वेदी-प्रतिवाद की भंगिमा : आशीष मिश्र

पंकज चतुर्वेदी-प्रतिवाद की भंगिमा : आशीष मिश्र

युवा आलोचक। और साहित्यिक-सांस्कृतिक रूप से निरंतर सक्रिय। कवि-वैशिष्ट्य जैसे इस बात का प्रमाण है कि हर कवि में एक भिन्न संवेदनतंत्र होता है, उसी तरह कविता का युग-वैशिष्ट्य इस बात का प्रमाण है कि कवि का भाव बोध इतिहास के भीतर ही बनता है। ऐतिहासिक शक्तियां उसके भावबोध,...