युवा आलोचक। और साहित्यिक-सांस्कृतिक रूप से निरंतर सक्रिय। आशुतोष दुबे की मनोगतियों का स्व-साक्षीभाव उसकी गुरुता को बढ़ा देता है। यहाँ सिर्फ द्रष्टा किसी दृश्य को नहीं देखता, बल्कि आत्म का कोई और स्तर है जो द्रष्टा को देखते हुए भी देखता है। यह उसकी भी गतियों को...
1-कथा में जो वस्तु है किंवदंती इतिहास मानी जाएऔर इतिहास को मिले दर्जाधर्म की किताब कालेकिन कथा में जो वस्तु हैवह ऐयार हैवह किस रूप में कहां मिलेगीवह भी जानती नहीं ठीक-ठीकतुम उसे दीवार पर कील से ठोकना चाहते होऔर वहाँ कुछ नहीं मिलतातुम उसे बोतल में बंद करना चाहते होऔर...
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