युवा शायर। अद्यतन ग़ज़ल संग्रह ‘हाशिये पर आदमी’। गजल 1.जब कभी बदलाव की ख़ातिर उठा है सर नयाउसको दिखलाया गया हर बार कोई डर नया पर्वतों को चीरकर राहें बना लेता है वोजो समझता है मुसीबत को भी इक अवसर नया हर गली कूचे मुहल्ले में लहर उन्माद कीकोई बतलाए कहां जा कर...
युवा कवि।अनेक पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।संप्रति व्याख्याता। एक इक तमाचा गाल पर तब मार जाती है हवाजब वतन की सरहदों के पार जाती है हवाउनकी सांसों की महक लाती है मेरी सांस तकमुझ पे खुशियों का खजाना वार जाती है हवामेघ ला कर जब बुझाती है धरा की प्यास कोशोक में...
युवा गजलकार। संग्रह ‘हाशिये पर आदमी’। पेशे से व्याख्याता (स्कूल शिक्षा)। एक जो चिंतनशील थे इस देश के हालात को लेकर झगड़ बैठे वही आपस में अपनी ज़ात को लेकर वो सारे लोग भी दो गज ज़मीं में ही दफन होंगे वहम पाले हुए हैं जो मेरी औकात को...
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