युवा गजलकार। मौजें कभी देखो अगर दरिया करें जब शोर ये मौजेंतलातुम से निकलने को लड़ें जब ज़ोर से मौजें सुनो उनकी कहानी को पढ़ो उनकी रवानी कोकहें ख़ामोश आवाज़ें किसी बेबस कहानी को नहीं मालूम किसकी जुस्तजू में घूमती हैं येकिसे बेसाख़्ता साहिल पे आ के ढूंढ़ती...
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