आशंका : भगवान स्वरूप कटियार कविता वरिष्ठ कवि। अद्यतन कविता संग्रह ‘मनुष्य विरोधी समय में’। बंदियो!तुम जहाँ पर भी होजो कुछ भी हो तुम्हारे पासआतंक, घुटन, तनाव और पीड़ामेरे पास भेज दोमछुआरो!जो कुछ भी हो तुम्हारे पासखाली जाल और समुद्र की पीड़ाभेज दो सब मेरे पास हे समस्त...
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