सुपरिचित कवि। फिल्में तथा टीवी धारावाहिकों के लिए शोधकार्य और लेखन। कई कविताएं देशी और विदेशी भाषाओं में अनूदित। नया कविता संग्रह ‘अब जान गया हूँ तो’। 1.केता आवै केता जाई।केता माँगे केता खाई।केता रूष विरष तल रहै।गोरष अनभै कासौ कहै॥गोरखबानी, सबदी-58 गोरख...
सुपरिचित कवि।फिल्में तथा टीवी धारावाहिकों के लिए शोधकार्य और लेखन।कई कविताएं देशी और विदेशी भाषाओं में अनूदित।नया कविता संग्रह ‘अब जान गया हूँ तो’। समझ लेना कोई कुशल क्षेम पूछे तो सूझता नहीं उत्तरठीक ठीक अपना दुख बता दो तोकुछ नहीं पूछता फिर! अंधेरे को भी उजाला...
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