वरिष्ठ कवि।कविता संग्रह ‘जो राख होने से बचे हैं अभी तक’ प्रकाशित। अंधेरा अंधेरे में किसी चीज का कोई रंग नहीं होतामगर जिंदगी के अंधेरे का रंगहोता है बहुत डरावना दिन की रोशनी में अपने अंधेरों से लड़ते हुए हमजहां-तहां छिपाते हैंअपने दुख और दुख की परछाइयांकोई...
वरिष्ठ कवि।कविता संग्रह ‘जो राख होने से बचे हैं अभी तक’ प्रकाशित। नाच एक बैलगाड़ी मेंसमा जाती थी उसकी गृहस्थीऔर इसी से पार हुई थींउसके कुनबे की अनगिनत पीढ़ियांगर्म लोहे को पीट करबनाती थी वहहंसिया, चाकू और चिमटेबेतहाशा भागतीहमारी दुनिया से अलगसबकुछ था वहांआदिम, थिर और...
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