कवि और लेखक। अद्यतन नवगीत संग्रह,‘धुंध में लिपटे हुए दिन’। हाँफते दिन भर कई युगों सेलकीरें हाथ की हमबांचते दिनभर महल में नाचतीं परियांपहनकर मणि जड़े गहनेविलासी मधुक्षणों के सुखवहीं आकर लगे रहने इधर हमरोज पन्ने भाग्य के हैंजांचते दिनभर सुगंधित भोग की थालेंवहां दिनभर...
कवि और लेखक। अद्यतन नवगीत संग्रह,‘धुंध में लिपटे हुए दिन’। हाँफते दिन भर कई युगों सेलकीरें हाथ की हमबांचते दिनभर महल में नाचतीं परियांपहनकर मणि जड़े गहनेविलासी मधुक्षणों के सुखवहीं आकर लगे रहने इधर हमरोज पन्ने भाग्य के हैंजांचते दिनभर सुगंधित भोग की थालेंवहां दिनभर...
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