युवा कवि। ‘डगर की रेत’ और ‘औरत की जानिब’ कविता संग्रह प्रकाशित। संप्रति अध्यापन। गांधारी आंखें होते हुए भी उनपर पट्टी बांधकरगांधारी! तुमने पति-भक्ति का धर्म निभाया तुम बन सकती थी अंधे पति धृतराष्ट्र की आंखेंलेकिन नहीं बनी शायद उस समय किसी पुरुष की...
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