दो कविताएँ  : दिलीप दर्श

दो कविताएँ : दिलीप दर्श

      बैंक कर्मी। दो पुस्तकें ‘सुनो कौशिकी’ (कविता संग्रह), ‘उनचास का पचास’ (कहानी संग्रह) प्रकाशित। जो किसी को याद नहीं रखता तुम अभी भाषा में मुझे नहीं पा सकोगेक्योंकि मैं जो भी हूँ अभी भाषा में नहीं हूँफिर भी तुम बार-बार मुझे वहीं ढूंढते होशायद...