दिलीप दर्श

दिलीप दर्श

    कविता-संग्रह ‘सुनो कौशिकी’, ‘महाप्रस्थान के पीछे’, ‘अब तो दे दो मुझे अंधेरा यह’ कहानी-संग्रह ‘मानुस कंपनी’ प्रकाशित। ग़ज़लें (1)दिखा जो भी इशारों में, कहा वो ही इशारों मेंहमें डर है कि बंट जाएं इशारे भी न नारों में हमें कहनी ही पड़ती है इशारों में ही कहते...
दो कविताएँ  : दिलीप दर्श

दो कविताएँ : दिलीप दर्श

      बैंक कर्मी। दो पुस्तकें ‘सुनो कौशिकी’ (कविता संग्रह), ‘उनचास का पचास’ (कहानी संग्रह) प्रकाशित। जो किसी को याद नहीं रखता तुम अभी भाषा में मुझे नहीं पा सकोगेक्योंकि मैं जो भी हूँ अभी भाषा में नहीं हूँफिर भी तुम बार-बार मुझे वहीं ढूंढते होशायद...