कविताएं : दीपाली अग्रवाल कविता युवा कवयित्री। नोएडा स्थित एक मीडिया संस्थान में सब-एडिटर। दुख मैंने जीवन में यूं बचाए दुखजैसे अंजुरी में पानीधीरे-धीरे रिसता हुआवे खनकते रहेज्यों बच्चे की जेब में सिक्केजिससे वह स्वप्न खरीदना चाहता हैजीवन में सुख आयातो मैंने उन सिक्कों सेफिर...
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