दिविक रमेश की कविता

दिविक रमेश की कविता

सुप्रतिष्ठित कवि और लेखक।विविध विधाओं में लगभग ८० पुस्तकें प्रकाशित।साहित्य अकादेमी का बाल-साहित्य पुरस्कार।   तानाशाह वह मेरे हिस्से का तानाशाह हैहँसता है जो गुस्से की बात पर भी दिखता है विनम्रकभी-कभी दयनीय भीबहा-बहा कर आंखें मैं अकसर चौंकता हूँउसकी अदाकारी परडर मुझे...