कविताएं  : दिव्या श्री

कविताएं : दिव्या श्री

 युवा कवयित्री। साझा काव्य संग्रह ‘नीलांबरा’।संप्रति- शिक्षार्थी। नहीं लौटेंगे वे तुम तक पहुंचने के कई रास्ते थेयह जानते हुए भीजाना आसान नहीं थायादों के परिंदों नेउड़ना सिखाया था मुझेदुख यह रहा कि हर बार चूक गएप्रेम में भाग जानाकोई नई बात नहीं हैफिर भी भागना एक प्रश्न...
पैदल चलते मजदूर : दिव्या श्री

पैदल चलते मजदूर : दिव्या श्री

युवा कवयित्री| साझा काव्य संग्रह ‘नीलांबरा’| संप्रति- छात्रा| मैं अभी-अभी दिल्ली आई हूँसुबह के आठ बजे हैंपक्षियों के झुंड के समानआदमी सरपट भाग रहा हैहाथ में थैला लिए, फोन पर बातें करते हुएकैब में बैठी एकटक देख रही हूँऔर वह दृश्य मेरे साथ चल रहा है सूरज-सामैं घबराकर...