मैं वहां हूं : अज्ञेय, कविता पाठ : डॉ विवेक सिंह

मैं वहां हूं : अज्ञेय, कविता पाठ : डॉ विवेक सिंह

रचना आवृत्ति :डॉ विवेक सिंह ध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतुदृश्य संयोजन-संपादन : उपमा ऋचा प्रस्तुति : वागर्थ, भारतीय भाषा पारिषद कोलकाता अनुपमा ऋतु, उपमा ऋचा, डॉ. विवेक...
जयशंकर प्रसाद की कविताएं : आत्मकथ्य और बीती विभावरी जाग री

जयशंकर प्रसाद की कविताएं : आत्मकथ्य और बीती विभावरी जाग री

हिंदी साहित्य के कालजयी रचनाकार जयशंकर प्रसाद के जन्मदिन के अवसर पर वागर्थ की विशेष प्रस्तुति – आवृत्ति : डॉ. विवेक सिंहध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतु कविता : बीती विभावरी जाग रीगायन : अजय रायनृत्य प्रस्तुति : डॉ स्मृति बाघेला वीडियो संयोजन एवं संपादन : उपमा...
चाहिए मुझे मेरा असंग बबूलपन : गजानन माधव मुक्तिबोध

चाहिए मुझे मेरा असंग बबूलपन : गजानन माधव मुक्तिबोध

हिंदी साहित्य के कालजयी रचनाकार गजानन माधव मुक्तिबोध के जन्मदिन के अवसर पर वागर्थ की विशेष प्रस्तुति – आवृत्ति : डॉ. विवेक सिंह, सहायक प्राध्यापक हिंदी विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय ध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतु, युवा लेखिका एवं अनुवादक दृश्य संयोजन एवं संपादन :...