विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।काशी हिंदू विश्वविद्यालय में छात्र। बाढ़ इसमें कोई संदेह नहींकि बाढ़ नदी को स्वच्छ करती हैधरती को उर्वर बनाती हैपर उससे पहले वह उम्मीद की उपजनष्ट करती हैसारे सपने डूबो देती हैसुख का स्वाद छीन लेती है एक किसान के गले में पड़ी...
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में छात्र। एक किसानबारिश मेंबाएं हाथ में छाता थामेदाएं में लाठी लिएमौन जा रहा था मेड़ परमेड़ बिछलहर थीलड़खड़ाते-संभलतेअंततः गिरते ही देखा एक शब्दघास पर पड़ा हैउसने उठायाऔर पीछे खड़े कवि को दे दियाकवि ने शब्द लेकर कविता दीऔर उस...
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