युवा कवि। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। चोकर की लिट्टी मेरे पुरखे जानवर के चाम छीलते थेमगर मैं घास छीलता हूँमैं दक्खिन टोले का आदमी हूँ मेरे सिर परचूल्हे की जलती हुई कंडी फेंकी गईमैंने यह सोचकर जलन बरदाश्त कर लीकि यह मेरे पाप का फल है(या...
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में छात्र। घास की प्रार्थना प्रभु!अंतहीन सहानुभूति के स्वर में मैं कर रही हूँप्रेम के नाम प्रार्थनाक्या सूर्योदय की पहली किरणधूप की पीठ पर रागात्मिका की रोशनी हैजो जीवन को जोतकर आ रही...
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।काशी हिंदू विश्वविद्यालय में छात्र। बाढ़ इसमें कोई संदेह नहींकि बाढ़ नदी को स्वच्छ करती हैधरती को उर्वर बनाती हैपर उससे पहले वह उम्मीद की उपजनष्ट करती हैसारे सपने डूबो देती हैसुख का स्वाद छीन लेती है एक किसान के गले में पड़ी...
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में छात्र। एक किसानबारिश मेंबाएं हाथ में छाता थामेदाएं में लाठी लिएमौन जा रहा था मेड़ परमेड़ बिछलहर थीलड़खड़ाते-संभलतेअंततः गिरते ही देखा एक शब्दघास पर पड़ा हैउसने उठायाऔर पीछे खड़े कवि को दे दियाकवि ने शब्द लेकर कविता दीऔर उस...
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