असली इंसान : गोविंद भारद्वाज

असली इंसान : गोविंद भारद्वाज

रेलगाड़ी के जिस डिब्बे में रामबाबू बैठा था, उसी में अचानक टीटी आ गया। रामबाबू ने जैसे ही टिकिट दिखाने के लिए जेब में हाथ डाला वह बुदबुदाया, ‘ये क्या मेरा बटुआ..और पैसे.. टिकिट..सब कहां..।’  रामबाबू की जेब कट चुकी थी। टीटी बाबू को देखकर उसके चेहरे पर घबराहट के मारे...
गोविंद भारद्वाज

गोविंद भारद्वाज

    बाल साहित्यकार।तीन बाल कविता संग्रह, पांच बाल कहानी संग्रह, एक लघुकथा संग्रह प्रकाशित।संप्रति अध्यापन। गजल ये कैसी लाचारी भैयालाखों पे इक भारी भैया मीठा अब तो लगता सागरलगती नदिया खारी भैया सारे मतलब के लोग यहांसमझो दुनियादारी भैया जिसके सर दस्तार बंधा...