मेरा शिकारीपन : हर्षदेव माधव

मेरा शिकारीपन : हर्षदेव माधव

    समकालिक संस्कृत कविता के सर्वाधिक प्रयोगशील कवि।३० काव्य संग्रह सहित कुल ४५ साहित्यिक कृतियाँ प्रकाशित।इनकी कई रचनाएँ हिंदी, अंग्रेजी, मलयालम, कन्नड़, तेलुगु, इटैलियन सहित अनेक भाषाओं में अनूदित। पत्नी फेंकती है शयन कक्ष में वध्य प्राणी की तरह अपना शरीर...
संस्कृत से अनुदित दो कविताएं : हर्षदेव माधव

संस्कृत से अनुदित दो कविताएं : हर्षदेव माधव

साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त कवि। 167 पुस्तकों  के लेखक। घाव जहां पेड़ थेवहां है बंजर जमीनजहां थी नदीवहां है रेतजहां थे घोंसलेवहां बिखरे पड़े हैं तिनकेजहां घर थावहां है टूटी हुई दीवारेंऔर ईंटों का संघातजहां थे शब्दवहां है मौन का झुंडश्मशान की शांतिजहां थे वसंत के...
संस्कृत से अनुदित दो कविताएं : हर्षदेव माधव

संस्कृत से अनुदित दो कविताएं : हर्षदेव माधव

साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त कवि। 167 पुस्तकों  के लेखक। घाव जहां पेड़ थेवहां है बंजर जमीनजहां थी नदीवहां है रेतजहां थे घोंसलेवहां बिखरे पड़े हैं तिनकेजहां घर थावहां है टूटी हुई दीवारेंऔर ईंटों का संघातजहां थे शब्दवहां है मौन का झुंडश्मशान की शांतिजहां थे वसंत के...