प्रतिदिन बाजार जाना मेरी दिनचर्या में शामिल था।बटुवेनुमा झोले में एकाध हरी सब्जी खरीद कर रखता, दो-चार हमउम्र लोगों से यदि भेंट हो जाती, तो उनसे देश-दुनिया में घट रही सामयिक घटनाओं पर हल्की-फुल्की चर्चा करता, फिर एकाध कप शुगर फ्री चाय पी कर घर लौट आता था।हां, इसके साथ...
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