रिश्ता : जसिंता केरकेट्टा

रिश्ता : जसिंता केरकेट्टा

युवा आदिवासी लेखिका, स्वतंत्र पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता।   ‘तुम्हारे पति के साथ मेरे संबंध थे।’ मैना ने कहा। ‘हां, उन्होंने मुझे बताया था।’ सुरजमुनी ने कहा। वह कुछ देर चुप रही। फिर धीरे से बोली ‘शुरू में बहुत दुख हुआ। लगा, मेरा विश्वास उन्होंने तोड़ दिया है।...
अंतिम वार : जसिंता केरकेट्टा

अंतिम वार : जसिंता केरकेट्टा

युवा आदिवासी लेखिका, स्वतंत्र पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता।   पीछे से कब वार हुआ उस पर पता नहीं। छुरी से उसका गला रेत दिया सोमा ने। खून फव्वारे की तरह कमरे में फैलने लगा। सोमा का चेहरा खून के छींटे से भर गया। कुछ देर बाद ही तड़प-तड़प कर शकुन ने दम तोड़ दिया। पर...
रेशमा : जसिंता केरकेट्टा

रेशमा : जसिंता केरकेट्टा

युवा आदिवासी लेखिका, स्वतंत्र पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता।   मैं पेड़ पर टंगी हुई हूँ।मेरा गला मेरे ही पीले दुपट्टे से बंधा हुआ है।मेरी गुथी हुई चोटी झूल रही है।बालों में कुसुम तेल की गंध है।मेरी जीभ बाहर निकली हुई है।आंखें खुली हैं।मौत के बाद भी जाने किस शून्य...
स्वायत्तता के लिए संघर्ष – आदिवासी कविताएं : शिव कुमार यादव

स्वायत्तता के लिए संघर्ष – आदिवासी कविताएं : शिव कुमार यादव

युवा आलोचक।‘नयी परंपरा की खोज’ सद्यः प्रकाशित आलोचना पुस्तक।इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्राध्यापन। जेसिंता केरकेट्टा का हाल में प्रकाशित तीसरा कविता संग्रह संग्रह है ‘ईश्वर और बाज़ार’।ईश्वर के नाम पर एक बाज़ार सजाया जा रहा है।मंदिर में प्रवेश करने से पहले व्यक्ति को...
औरत का घर : जसिंता केरकेट्टा

औरत का घर : जसिंता केरकेट्टा

युवा लेखिका,स्वतंत्र पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता। ‘यह किसका बच्चा है?’ आम के पेड़ के नीचे बैठे पंच सलगो से पूछ रहे हैं। सलगो दो बेटों की मां है। पति मर चुका है। अब वह फिर पेट से है। गांव में पंचायत बैठी है। गांव के लोग कभी सलगो तो कभी पंच का चेहरा ताक रहे हैं। सलगो...