दिल्ली के राजधानी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर। काव्य-संग्रह ‘अभी भी दुनिया में’। नमन एक स्त्री भोर में जगती हैसबसे पहलेहाथों में पकड़ती है झाड़ूऔर गुनगुनाते हुएबुहारने लगती हैसदियों सेस्त्री की दिनचर्या का हिस्सा रही है झाड़ू स्त्री गुनगुना रही हैबुहार रही...
दिल्ली के राजधानी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर।काव्य-संग्रह ‘अभी भी दुनिया में’। तुम्हें फुर्सत न थी बसंत मेंएक पुष्पतुम्हारे आंगन खिलातुम व्यस्त थेउसे देखने की तुम्हें फुर्सत न थी एक पंछी तुम्हारे झज्जे पर बैठा रहा देर तकतुम उसको अवलोक नहीं पाएतुम्हें...
‘युवा कवि।अभी भी दुनिया में’ काव्य-संग्रह।संप्रति : एसोसिएट प्रोफेसर, हिंदी विभाग, राजधानी कॉलेज, नई दिल्ली। दरार से झांकती धूप बंद कमरे मेंदीवार की दरार सेझांकती थी धूपदर्शकदीवार में पड़ी हुईदरार देखते थेमैं दरार सेआती हुईधूप देखता था। जन्म एक दिन...
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