जावेद आलम खान

जावेद आलम खान

    युवा कवि।विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।संप्रति शिक्षा निदेशालय, दिल्ली के अधीन शिक्षक। चाह अगर जमना ठंडी बर्फ होना हैतो मैं मोम बनकर पिघलना चाहता हूँकिसी कंदील में धीमे-धीमे जलना चाहता हूँ अगर उठना पहाड़ होना हैतो मैं गिरना चाहता हूँअपने भीतर...
कविता : जावेद आलम खान

कविता : जावेद आलम खान

युवा कवि। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। शिक्षा निदेशालय दिल्ली के अधीन टीजीटी हिंदी। सभ्यताओं का स्वर्णकाल सभ्यताओं के स्वर्णकाल मेंहथियारों की खेती हुई और हवस की पूजाइतनी कि परियों को छुपाना पड़ा कोहे काफ मेंखून के रंग वाली धरती औरधुएं के आकाश से बने...
कविताएँ जावेद आलम खान

कविताएँ जावेद आलम खान

      युवा कवि, शिक्षा निदेशालय, दिल्ली के अधीन शिक्षक। मुझे टुकड़ा-टुकड़ा बांट देना किसी दिन पानी-सा बहूंजमूं पिघलूं और भाप बन बादल में रहूं किसी दिन बदल जाऊं आग मेंभभकूं सुलगूं और बदल जाऊं राख में किसी दिन हवा हो जाऊंउड़ू उड़ाऊं और वायुमंडल में खो...
कविताएँ जावेद आलम खान

कविताएँ जावेद आलम खान

      युवा कवि, शिक्षा निदेशालय, दिल्ली के अधीन शिक्षक। मुझे टुकड़ा-टुकड़ा बांट देना किसी दिन पानी-सा बहूंजमूं पिघलूं और भाप बन बादल में रहूं किसी दिन बदल जाऊं आग मेंभभकूं सुलगूं और बदल जाऊं राख में किसी दिन हवा हो जाऊंउड़ू उड़ाऊं और वायुमंडल में खो...