निरंतर सृजनरत कवयित्री। वजूद हरा था जब तकयह सूखा पत्तावृक्ष के प्राण बनउसे खिलाता थाउसे जिलाता थाझर गया डाल सेअब जर्द होकरलेकिन खत्म नहीं हुआइसका वजूदहवा के साथ यह उड़ेगाजारी रहेगा इसका सफरबची हैं इसमें संभावनाएंकिसी चिड़िया का आशियाना बनाने कीकिसी की भूख...
Recent Comments