वरिष्ठ कवि।दो कविता-संग्रह, ‘खुले आकाश में’ और ‘मीठे पानी की मटकियाँ’। निशान मैं रेत परगिरवी रख आया थापैरों के निशान रातबेईमान हो गईंसमंदर कीलहरें! कोई पूछे पेड़ किसी सेकहते नहीं उम्मीद करते हैंकोई पूछेउनका हालपतझर में! हथेली में भाषा के लिएकिसीभूखे...
कविता संग्रह ‘खुले आकाश में’ प्रकाशित। 1-पुकार मैं तुम्हारे दुख में शामिल था चुपचाप पर कहा नहीं तुमसे मैं देख रहा था तुम्हें फूट फूट कर रोते हुए पर उंगलियों से अपनी पोंछे नहीं मैंने तुम्हारे आंसू मैं देख रहा था तुम खोई हुई थी और तैर रही थी एक लंबी थकान...
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