सुपरिचित कहानीकार और पत्रकार।कहानी संग्रह ‘दक्खिन टोला’।संप्रति ‘हिन्दुस्तान’, रांची में समाचार संपादक। उनके कई नाम थे। इतने नाम कि वे भी अपना असली नाम भूल गए।बचपन में छोटन सिंह, बबुआ सिंह और सरदार सिंह जैसे नाम।जवानी में नाम पड़ा बबुआन तो बुढ़ौती में बाबू...
सुपरिचित कहानीकार और पत्रकार। कहानी संग्रह ‘दक्खिन टोला’। संप्रति ‘हिन्दुस्तान’ रांची में समाचार संपादक। कम की दवाई है बेटा, अधिक की दवाई नहीं। सुबह के साढ़े नौ बजे नहीं कि महेसर हलवाई की आवाज गूंज जाती। आवाज भी इतनी तेज कि पूरा रामरेखा घाट जान जाता कि महेसर हलवाई के...
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