हम औरतें : कविता सिंह कविता युवा कवयित्री। सहायक प्राध्यापिका। हम गुनहगार और बेशर्म औरतेंथाम कर बैठ सकती हैं हाथउन सभी अपरिचित पुरुषों केजिनके हृदय हो रहे हैं विदीर्णअपनी स्त्रियों की प्रसव वेदना कीकातर चीख सुनकर हम गुनहगार और बेशर्म औरतेंचूम सकती हैं माथेउन सभी...
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