सीमांत का सौंदर्य और विषाद : आशीष मिश्र

सीमांत का सौंदर्य और विषाद : आशीष मिश्र

युवा आलोचक। और साहित्यिक-सांस्कृतिक रूप से निरंतर सक्रिय। किसी युग के काव्य-वैशिष्ट्य को चिह्नित करते हुए यह ज़रूर देखना चाहिए कि वे कविताएँ ग्रामीण संवेदना को कैसे अभिव्यक्त करती हैं| इससे उनकी जनोन्मुखता, सामुदायिकता, इंद्रियबोध, पारिस्थितिक गहनता, वाचिकता, जीवंतता...
कवि विशेष : केशव तिवारी की कविताएं

कवि विशेष : केशव तिवारी की कविताएं

जन्म 1963, अवध के प्रतापगढ़ जिले के एक गांव जोखू का पुरवा में| नौकरी के दौरान करीब 30 वर्षों से बुंदेलखंड के बाँदा जिले में रहवास| कविता की तीन पुस्तकें- ‘इस मिट्टी से बना’, ‘आसान नहीं विदा कहना’, ‘तो काहे का मैं’| ये चैत है किजंग लगी कटार जिसे बिल्ली काट गईकल पता...