उजला-उजला दिन : लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता कविता असिस्टेंट प्रोफेसर, इलाहाबाद विश्वविद्यालय। काव्य संग्रह ‘जिसे वे बचा देखना चाहते हैं’। मैं जहाँ भी जाता हूँइक स्याहपन साथ लिए जाता हूँजिस भी कस्बा या शहर के बारे मेंजो कुछ भी सुना था कभी पहलेवह सबका सब बेमानी लगता हैफिर लगता है...
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