‘प्रश्नकाल का दौर’ (व्यंग्य) और ‘ईश्वर की डायरी’ (कविता) पुस्तकें। संप्रति सहायक निदेशक (राजभाषा) पद पर कार्यरत। पाठ उसकी आंखों पर चश्मा नहीं हैलेकिन मजाल है किचावल में शेष रह जाए कंकड़जब तक अदहन नहीं उबलतावह चावल नहीं डालती बटलोही मेंउसकी कलाई पर नहीं...
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