लाल्टू

लाल्टू

    वरिष्ठ कवि, कथाकार। ताज़ा संग्रह : ‘अधूरी रहना कविता की नियति है’। क्या नीला रंग ठीक है? कोई पाखी, कोई गीतकार आएमुझे सुला जाएकोई कह जाए कि सब ठीक है!अपनी चोंच से मुझे दो बूँद उम्मीद के पिला जाएकोई नीले सपने दिखा जाएया कि बच्चों के बीच मुझे लिटा जाएक्या...
कुछ कविताएं : लाल्टू

कुछ कविताएं : लाल्टू

वरिष्ठ कवि और चिंतक| अद्यतन कविता संग्रह ‘कौन देखता है कौन दिखता’| रात दिन दिन में है, रात में रात होती हैदरमियान की घड़ी गुमनाम होती है लफ्ज़ मानीखेज़ हो न होंबात निकली किसी के नाम होती है खिड़की-दर-खिड़की खड़ा सोचता हूँचुप-सी रात क्यों बदनाम होती है बेनूर कह गई कल मुझसे...