वरिष्ठ कवि। पांच कविता संग्रह तथा एक कहानी संग्रह प्रकाशित। ओ हमारी मातृभूमि के महावृक्ष!तुम मुझसे उतने ही दूर होजितना मैं अपने आपसे तुम्हारे पत्तेछाया भी बने दूसरों के लिएऔर झरकर राख भी कैसे भले दिन थे वेजब हम बच्चे अबोध थेन हमें अपना इतिहास ज्ञात थान...
वरिष्ठ कवि।पांच कविता संग्रह और एक कहानी संग्रह प्रकाशित। युद्ध और तितलियां युद्ध शुरू होते हीकहां गई होंगी तितलियांकिसे पता पर ध्वस्त हुए शहर मेंएक बूढ़ी औरतयह सोचकर साफ कर रहीअपने घर का बगीचाकि खिलेंगे फूल तो फिर से फूलों परदिखाई देंगी मंडराती हुई...
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