कविताएं : मनीषा झा

कविताएं : मनीषा झा

    युवा कवयित्री।दो कविता संग्रह – ‘शब्दों की दुनिया’, ‘कंचनजंघा समय’ सहित आलोचना की कुछ पुस्तकें प्रकाशित।उत्तर बंग विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में प्रोफेसर।  उसने सोख लिए मेरे दुख मन जब भी होता था मलिनपनप जाता था कोई न कोई दुखअंत: की तलछट में जमा...
तीन कविताएँ : मनीषा झा

तीन कविताएँ : मनीषा झा

      युवा कवयित्री।  दो कविता संग्रह – ‘शब्दों की दुनिया’, ‘कंचनजंघा समय’ सहित आलोचना की कुछ पुस्तकें प्रकाशित। उत्तर बंग विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में प्रोफेसर।  सीख जवान होती मेरी बेटियो सुनो!ब्याह अगर करना तो खुद वर चुननायाद रखना पिता एक परंपरा...
तीन कविताएँ : मनीषा झा

तीन कविताएँ : मनीषा झा

      युवा कवयित्री।  दो कविता संग्रह – ‘शब्दों की दुनिया’, ‘कंचनजंघा समय’ सहित आलोचना की कुछ पुस्तकें प्रकाशित। उत्तर बंग विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में प्रोफेसर।  सीख जवान होती मेरी बेटियो सुनो!ब्याह अगर करना तो खुद वर चुननायाद रखना पिता एक परंपरा...