दो कविताएं : मिथिलेश राय कविता युवा कवि। अंग्रेजी के शिक्षक। हमें होना चाहिए था हमें होना चाहिए थाझूठ के बीच तनकर खड़ासच की तरह रोटीसेकती स्त्री के लिएचूल्हे की आगऔर धान के बेहड़ रोपती स्त्री केकंठ में गीत की तरह किसी केपतझड़ में झड़ना था पीली औरपुरानी पत्तियों के साथकिसी के बसंत...
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