दलित साहित्य के अग्रणी लेखकों में एक नाम मोहनदास नैमिशराय है।पहली दलित आत्मकथा ‘अपने-अपने पिंजरे’ के लेखक।भारतीय दलित आंदोलन का इतिहास (चार खंड) एक दस्तावेजी काम है, जिस पर उनके अनुभव की छाप है।५ वर्षों तक भारत सरकार के डॉ अंबेडकर प्रतिष्ठान, नई दिल्ली के सदस्य।वर्धा...
प्रस्तुति : मधु सिंह विद्यासागर विश्वविद्यालय, मेदिनीपुर में एम.फिल. की शोध छात्रा। कोलकाता के खुदीराम बोस कॉलेज में शिक्षण। आधुनिक युग विमर्शों का युग है। इस काल में शिक्षा और विज्ञान की प्रगति ने लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत किया है। फलस्वरूप साहित्य में...
मोहनदास नैमिशराय सुपरिचित दलित साहित्यकार और ‘बयान’ के संपादक माँ, बेटा और क्रांति माँ बीमार है और घर में अंधेरा न माँ के चेहरे पर तेज है और ना घर में उजाला जब से बेटे ने क्रांतिकारी झंडा उठा लिया था उसी समय से माँ ने चारपाई पकड़ ली थी माँ के सपने दफन हो गए थे उसी...
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